आदिवासियों ने बिरसा मुंडा की जय-जयकार की, जंगलों को कारपोरेट से बचाने का संकल्प लिया
Uttar Pradesh , बिरसा मुंडा यादगार समिति के बैनर तले खीरी में कोल आदिवासियों और अन्य गरीब लोगों के उत्साहजनक जनसमूह ने विभिन्न मांगों के लिए संघर्ष का झंडा बुलंद कर दिया।
बिरसा की 148वीं जन्मतिथि के अवसर पर, वक्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सत्तारूढ़ दलों ने कोलों को एसटी का दर्जा देने पर वर्षों से लगातार आदिवासी को धोखा दिया है।
बिरसा मुंडा जंयती में भाग लेने के लिए क्षेत्र के विभिन्न गांवो से टोलियों के साथ जुलूस की शकल में आकर सभा स्थल पर पहुंचकर नारे लगाए ।
मुख्य अतिथि, पश्चिम बंगाल से एआईकेएमएस के मनसदा, झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व नेता ने कहा कि भारत सरकार बड़े कॉर्पोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सेवा कर रही है, यह आदिवासियों को जंगलों से उखाड़ने और उनकी वन संपदा को छीनने की ब्रिटिश काल की नीति को ही जारी रख रही है। भारी मुनाफ़ा कमाने के लिए, विस्थापित आदिवासियों को पूंजीपति वर्ग द्वारा सस्ते श्रम के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। उनसे शहरों में सस्ते घरेलू मजदूर के रूप में काम कराया जाता है। संघर्ष से ही आत्म सम्मान प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने आज की बैठक की सराहना की और पूरे देश में यूपी के कोल आदिवासियों के सवाल को उठाने का वादा किया। उन्होंने नए वन नियमों के खिलाफ संघर्ष के सख्त कदम उठाने की अपील की।
वक्ताओं में मनीदेव चतुर्वेदी, रज्जन कोल, डा०राजेश, तेजबली, संगमलाल, निखिल, मंजुदेवी, मंगलदेव, जयप्रकाश, आशीष कोल, रामकैलाश कुशवाहा, रामदास, राममनि, लवकुश आदि ने संबोधित किया सभा का संचालन भीमलाल व अध्यक्षता हरिप्रसाद कोल ने किया।
इस मौके पर पुष्पा देवी,रीता देवी, श्यामकली, इंद्रजीत, देवीदीन,मुन्नीलाल कोल,नागेश्वर कोल,बृजेश,शारदा,रमेश,गोरेलाल आदि उपस्थित रहे।
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