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वरिष्ठ गाँधीवादी श्री अमरनाथ भाई पूर्व अध्यक्ष सर्व सेवा संघ के सम्मान में कार्यक्रम

वरिष्ठ गाँधीवादी श्री अमरनाथ भाई पूर्व अध्यक्ष सर्व सेवा संघ के सम्मान में कार्यक्रम

Varanasi , वरिष्ठ गाँधीवादी श्री अमरनाथ भाई ( पूर्व अध्यक्ष सर्व सेवा संघ ) के सम्मान में साझा संस्कृति मंच द्वारा स्वागत एवं अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया। नदेसर स्थित साझा संस्कृति मंच कार्यालय में आयोजित वरिष्ठ गाँधीवादी भाई जी के स्वागत समारोह में शहर भर के शैक्षणिक सामाजिक जगत की उपस्थिति रही।
 मंच की ओर से एक स्मृति चिह्न और शॉल भेंट करते हुए फादर आनंद ने भाई जी के स्वस्थ, दीर्घायु और आज ही की तरह सक्रिय बने रहने की शुभकामना की। 

 ज्ञातव्य है कि 2 अक्टूबर 2022 को राजस्थान सरकार ने देश भर के पांच गांधी विचारकों को सद्भावना सम्मान से सम्मानित किया है । इसमें अमरनाथ भाई जी का नाम भी शामिल है। 

 भाई जी के बारे में मंच की और से सतीश सिंह ने बतलाया कि 1 जुलाई 1933 को जन्मे प्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक श्री अमरनाथ भाई छात्र जीवन में ही विनोबा जी के भूदान , ग्राम दान , ग्राम स्वराज एवं सर्वोदय आंदोलन से प्रभावित होकर स्नातक की पढाई बीच में ही छोड़ दिए और आंदोलन में शामिल हो गए। देश में साम्प्रदायिक दंगों के समय शांति और सद्भाव स्थापना में आपकी काफी सक्रियता रही है। 90 वर्ष के आसपास शारीरिक व्याधियों कमजोरियों को धता बताते हुए देश भर में घूम घूमकर गाँधी जीवन दर्शन प्रशिक्षणों के माध्यम से मानव निर्माण प्रक्रिया में आज भी आपका सक्रीय होना आश्चर्यचकित करता है। गांधी के विचार से सिंचित और विनोबा, जयप्रकाश धीरेन्द्र मजूमदार के साथ से पुष्पित पल्लवित अमरनाथ भाई की कहानी आज की पीढ़ी के लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती है। 

 सर्व सेवा संघ के दो बार अध्यक्ष रहे अमरनाथ भाई ने अपना पूरा जीवन गाँधी के विचारों और कार्यक्रमों को जनता के बीच ले जाने के लिए समर्पित किया हुआ है। जयप्रकाश नारायण की अध्यक्षता में बने शांति सेना के सैनिक बन आप वर्ष 1974 में साइप्रस में ग्रीस और तुर्की के बीच हो रही लड़ाई में, शांति बहाली के लिए गए। 1974 में ही हुए बिहार आंदोलन के दौरान वह जयप्रकाश नारायण के साथ रहे और इमरजेंसी के दौरान तीन-चार बार जेल भी गए। इसी दौरान ‘तरुण क्रांति’ पत्रिका निकाली।

 श्री अमरनाथ भाई जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि युवाओ से मुझे बड़ी आशा है। विश्व पटल पर जैसे जैसे हिंसा अराजकता अनैतिकता बढ़ रही है उसी प्रतिशत में गाँधी के विचारों और कार्यक्रमों को जानने की लोगो में उत्सुकता भी बढ़ी है। लोग जानना चाहते है की आज की भौतिक सामाजिक राजनैतिक संस्कृति की भागदौड़ में सर्वोदय और शांति की बहाली कैसे की जाए ?  और ये अपने आप में एक बढ़िया बात है।    

 अपने वक्तव्य में बनारस में गाँधी जयंती कार्यक्रम पर आयोजित शांति एवं सद्भावना पदयात्रा को रोके जाने पर खासी नाराजगी जताते हुए कहा कि " गाँधी जयंती कार्यक्रम को रोका जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा क्या लोकतंत्र में हो सकता है भला ? ये तो तानाशाही में होता है। क्या देश में तानाशाही लागू हो गयी है ? मैं पूछता हूँ कि पदयात्रा गाँधी जयंती का कार्यक्रम किसके आदेश से रोका गया ? मुझे विश्वास है कि यूपी सरकार ऐसी बेबुद्धि नहीं हुई होगी। ये जिले स्तर पर किसी अधिकारी का काम होगा। इसकी जांच होनी चाहिए , राष्ट्रपिता के जयंती कार्यक्रम का रोका जाना कोई छोटी मोटी घटना नहीं है। इसकी जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारी को दण्डित किये जाने की जरूरत है।"

 आयोजन में शामिल रहे नन्दलाल मास्टर ने कहा कि हम लोग भी भाई जी के जीवन से सीख लेकर उनके बताए मार्ग पर चलने की पूरी कोशिश करें, इसी में भाई जी व अन्य गांधी विचार के कार्यक्रमों के प्रति हमारी सच्ची आस्था प्रकट करेगा। 

 अभिनंदन कार्यक्रम में 92 वर्षीय गांधीवादी अमरनाथ भाई के साथ आए उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हुए। उनकी नतिनी पारमिता ने कहा कि आज असली लड़ाई गांधी विचार के पक्ष में खड़े होने की है। जीवन भर नाना जी जिस काँग्रेस के विरोध में खड़े रहे उस पार्टी द्वारा एक लंबे समय बाद गाँधीयन विचारधारा पर काम करने वाले व्यक्तियों का सम्मान होना और दुसरी ओर आरएसएस जनसंघ जो हमेशा से उपेक्षित रहा और आपातकाल में पहली बार समाजवादियों के सहमति से मुख्यधारा के विपक्ष में स्थापित हो पाए। ये लोग आज सत्ता में है। केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार है और बनारस में गांधी जयंती पर कार्यक्रम रोक दिया जाता है। ये बेहद दुखी करने वाली बात है।

 प्रेरणा कला मंच के साथियों ने गाँधीधुन भजन का पाठ किया और कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ इन्दु पांडेय ने किया। अध्यक्षता प्रो आरिफ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रंजू सिंह ने किया।

कार्यक्रम में मुख्य तौर पर फादर आनंद, नन्दलाल मास्टर, वल्लभाचार्य पांडेय, जाग्रति राही , रामजनम, डॉ आरिफ़, सुरेश राठौड़, तनुजा, पारमिता, अखिलेश, डॉ अनूप श्रमिक,
सच्चिदानंद ब्रह्मचारी, फ़ा0 जयंत, मूसा आज़मी, ओमप्रकाश, महेश, राजकुमार,  सतीश सिंह, रंजू , रवि शेखर , रवि शेखर, डॉ इंदु पांडेय, मुकेश झांझरवाला, अबु हाशिम, चिंतामणि सेठ, प्रेम सोनकर और धनञ्जय आदि शामिल रहे। 

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