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राष्ट्रीय रोजगार नीति आधारित कानून की मांग को लेकर संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति का प्रदर्शन

राष्ट्रीय रोजगार नीति आधारित कानून की मांग को लेकर संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति का प्रदर्शन

Delhi News , बेरोजगारी के खिलाफ राष्ट्रीय रोजगार नीति आधारित कानून की मांग को लेकर संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति द्वारा दिल्ली में रोजगार आंदोलन किया गया, जिसमें देश भर से हजारों की संख्या में अलग अलग संगठनों के प्रतिनिधि, छात्र,नौजवान,मजदूर, किसान शामिल हुए।

  संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति द्वारा आंदोलन के लिए सरकार से जगह की मांग की गई,जगह की परमीशन नहीं मिली.सोशल मीडिया के माध्यम से आंदोलन का मैसेज पूरे देश में जा चुका था तो आंदोलन तो होना ही था, तय समय और तारीख के मुताबिक दिल्ली पहुंचे तमाम आंदोलनकारी गगन सिनेमा के पास नंद नगरी दिल्ली में एकत्रित हुए।

   16 अगस्त 2022 को सुबह करीब 11बजे आंदोलनकारियों ने हाथों में तिरंगे झंडे, साथ ही सिर पर आंदोलन की टोपी पहन कर जंतर मंतर के लिए पैदल यात्रा शुरू की,जिसको पुलिस ने रोक दिया, तो अहिंसक आंदोलनकारी वापस लौट कर अपने ठहरे हुए स्थान पर ही मंच लगाकर अनशन पर बैठ गए. और रोजगार नीति आधारित कानून लागू करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करने लगे।

  आंदोलनकारी ना ही सड़क को जाम कर रहे थे, ना ही जाति, धर्म, लिंग, भाषा, क्षेत्रवाद को लेकर कोई बवाल कर रहे थे, ना ही सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे, ना आवागमन के साधनों को रोक रहे थे, ना ही किसी की गाड़ी में तोड़फोड़ कर रहे थे,सिर्फ अहिंसक आंदोलन के द्वारा राष्ट्रीय रोजगार नीति कानून बनाने की मांग कर रहे थे.

  आंदोलन के चौथे दिन यानी 19 अगस्त को भारी मात्रा में पुलिस आती है आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करती है और बसों में भरकर ले जाती है, जिस जगह पर आंदोलनकारी रुके हुए थे उस स्थान को खाली करा लिया जाता है और स्थान को सील कर दिया जाता है. 

उत्तर प्रदेश,बिहार,हरियाणा,राजस्थान, मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़,झारखंड,पंजाब,
गुजरात,उड़ीसा,बंगाल, केरल,कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड,जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र समेत कई अन्य दूर दराज के राज्यों से आए आंदोलनकारी इधर उधर भटकने को मजबूर होते हैं ।

  रोजगार आंदोलन समिति की तरफ से कहा गया है कि, लोकतंत्र में अपनी हक,अधिकार के लिए आवाज उठाना क्या गुनाह है! फिर आंदोलनकारी तो आम जन की समस्या को उठा रहे थे जो भारत में बहुत जरूरी है क्यों कि बिना रोजगार के ना तो व्यक्ति का विकास हो सकता है ना ही देश का विकास हो सकता है, देश के प्रधानमंत्री जी को रोजगार आंदोलन समिति ने जो राष्ट्रीय रोजगार नीति  का ड्राफ्ट सौंपा है अगर उसमें कुछ कमी है तो सुधार किया जा सकता है,अगर सही है तो लागू करना चाहिए,लागू करना सरकार का काम है और रोजगार नीति आज की जरूरत है इसके बिना बेरोजगारी की समस्या का समाधान नहीं हो सकता!

  समिति की तरफ से कहा गया है कि, क्या लोकतंत्र में जनहित के मुद्दे उठाना गलत है,ये कौन सा तरीका है कांवड़ यात्रा करने वालों पर फूल बरसाए जाते हैं रोजगार मांगने वालों पर डंडे बरसाए जाते हैं! भारत के अन्नदाता किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया उनको खालिस्तानी कहा गया पाकिस्तानी कहा गया पता नहीं क्या क्या नाम दिया गया. लेकिन किसानों ने अपनी गैर हिंसक लड़ाई जारी रखी आज भी जारी है बेशक धरना समाप्त कर दिया। आज देश का युवा, नौजवान,महिला, छात्र,मजदूर, किसान, रोजगार नीति को लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है जिसे दबाने की कोशिश की जा रही है, जो गलत है, रोजगार नीति आधारित कानून की ही तो मांग कर रहे हैं वो भी अहिंसक तरीके से,फिर आंदोलनकारियों साथ इस तरह का व्यवहार क्यों!  

            संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति ने कहा कि, हम शांत होकर बैठने वाले नहीं हैं जब तक देश में राष्ट्रीय रोजगार नीति आधारित कानून नहीं बन जाता यह आंदोलन अनवरत जारी रहेगी।

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