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बारिश नहीं होने से नहर भी सूखा , मामूली बारिश पर रोपनी चल रही है धीमी किसान चिंतित

बारिश नहीं होने से नहर भी सूखा , मामूली बारिश पर रोपनी चल रही है धीमी किसान चिंतित

Varanasi News , बारिश नहीं होने और नहर में पानी नही आने के कारण जिला के किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए है। किसानों के खेतों में नर्सरी तैयार है। जरूरत है तो बरसात की। जैसे ही मूसलाधार बारिश हो जाए उसके इंतजार में किसान धान रोपनी का कार्य में लग जायेंगे। बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ना स्वभाविक है। सावन के पहले जहां रह रहकर वर्षा होती रही थी। सावन के एक पखवाड़ा बीतने के बाद बूंद-बूंद पानी के लिए भी किसानों को तरसना पड़ रहा है। अधिकांश किसानों के धान का नर्सरी तो डाल दिया है।जो अब तैयार हो चूका है। लेकिन अब धान के नर्सरी खेतों में लहलहाने के बजाय मुरझाने के कगार पर पहुंच चुके हैं। वहीं मई व जून माह में डाले गए धान की नर्सरी में पौधे तैयार हो गए हैं।लेकिन, कड़ी धूप के कारण कई जगहों पर पौधों की पत्तियां पीली होने लगी है।

सावन माह में भी प्रयाप्त बारिश नहीं होने से बन रही है सूखे की स्थिति


बारिश नहीं होने से जिला में अकाल कि स्थिति बन गई है। किसानों का कहना है कि सावन माह का एक सप्ताह से ज्यादा बीत गया। सावन महीने में जमकर बारिश होती थी।लेकिन इस वर्ष अभी तक उम्मीद के अनुसार झमाझम बारिश नहीं हो सकी है।

धान के नर्सरी लगभग तैयार हो चुके हैं।लेकिन बारिश की कमी से किसान धान की रोपाई शुरू करने की हिम्मत नही दिखा पा रहें है।जुलाई माह में बारिश नहीं होने कि वजह से धान के खेतों की यह स्थिति देख किसान चिंतित होने लगे हैं। जिन किसानों के पास सिंचाई के अपने साधन हैं। वैसे किसान पौधों की सिंचाई कर पौधों को बचाने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं कुछ किसान पैसे लगाकर दूसरे किसानों की बोरिंग से नर्सरी बचाने के प्रयास में लगे हुए हैं।लेकिन तीखी धूप के कारण नर्सरी का पानी गर्म हो जा रहा है। किसान कहते हैं कि जब पानी गर्म हो जा रहा है।तो कोमल पौधों की हालत खराब होना वाजिब है।गौरतलब हो कि जिले के अधिकतर किसान बरसात पर निर्भर हैं। नहर में पानी आया लेकिन वह भी सुख गया है।

मंहगे दामों पर खरीदा गया था धान का बीज, झुलस रहा पौधा


किसानों की माने तो महंगे दामों पर बीज खरीदकर खेतों मे धान की नर्सरी तैयार की।अब मौसम धोखा दे रहा है और बारिश के अभाव में किसानों के सपने चकनाचूर हो रहे हैं। पानी की कमी से खेतों में दरारें पड़ रही है।धान के नर्सरी और अन्य फसल प्रचंड धूप व झुलसा देने वाली गर्मी से सूखने लगे हैं और खेतों में दरार पड़ने लगे है। किसान भी संभावित सुखाड़ को लेकर हताश हैं। जिले के किसानों ने बताया कि एक-दो दिन बूंदाबांदी हुई थी। गुरुवार को भी धूप व बादल के बीच लुका छिपी का खेल पूरे दिन चलता रहा। लेकिन बारिश नहीं हुई। धान के नर्सरी के विकास में तीखी धूप बाधा डाल रही है।

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