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 राष्ट्रीय रोजगार नीति वक़्त की मांग है इसके बिना नहीं हो सकता बेरोजगारी की समस्या का समाधान- गोपाल राय

राष्ट्रीय रोजगार नीति वक़्त की मांग है इसके बिना नहीं हो सकता बेरोजगारी की समस्या का समाधान- गोपाल राय

Delhi , देश की बात फाउंडेशन के आह्वान पर संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति (SRAS) के बैनर तले दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के शंकर लाल कॉन्सर्ट हॉल में रोजगार संसद का आयोजन किया गया. एक दिवसीय रोजगार संसद में दिल्ली के 500 से अधिक प्रमुख छात्र संगठन, युवा संगठन, महिला संगठन, शिक्षक संगठन, ट्रेड यूनियन, किसान यूनियन, NGO's आदि संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया. रोजगार संसद में दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की.कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नरेंद्र पांडेय ने की.
  रोजगार संसद को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए  गोपाल राय ने कहा कि देश में दो तरह का संघर्ष चल रहा है. एक सत्ता के लिए संघर्ष और दूसरा बेरोजगारी का संघर्ष. जब ईस्ट इंडिया कंपनी आई तो 1857 में झांसी की रानी ने मां भारती के लिए तलवार उठाई. आज फिर नए हिन्दुस्तान के अंदर सूरज डूबने वाला है.इसको बचाने की जिम्मेदारी हम सब देश वासियों की है.

  गोपाल राय ने कहा कि आज मैं आपके समक्ष एक पार्टी का नेता नहीं, दिल्ली का मिनिस्टर भी नहीं, देश के लिए आया हूं. एक डॉलर की कीमत 79 रुपये है. इसका सीधा अंतर यह है कि इस देश की नई गुलामी की तस्वीर दिखाई दे रही हैं. निर्यात बंद हो रहा है, आर्थिक समस्या बढ़ रही है. आज रोजगार की लड़ाई केवल रोटी, कपड़ा और मकान की नहीं बल्कि देश को बचाने की लड़ाई है. नौजवान बेरोजगार है, देश को आगे बढ़ाने के लिए देश को रोजगार आंदोलन चाहिए. नए भारत के निर्माण का आंदोलन है यह रोजगार आंदोलन. सरकार से  निवेदन है कि इस देश को समग्र राष्ट्रीय रोजगार नीति की आवश्यकता है. सेंटर द्वारा निकाली गई अग्निपथ स्कीम के खिलाफ देश भर में युवाओं ने विरोध किया. पूरे देश के अंदर पहले से ही जो कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम में काम हो रहा है, उसमें पहले से ही बहुत शोषण है. इसके बाद जो सेना में ये स्कीम लाई गई है, वो इस बात को दर्शाती है कि केंद्र सरकार रोजगार की समस्या को लेकर गंभीर नहीं है

  बेरोजगारी आज देश की सबसे बड़ी कमजोरी बन चुकी है और उसके समाधान के लिए आज जिस तरह का संगीन प्रयास करने की जरूरत है सरकार वो कर नहीं रही है. इसका परिणाम ये है कि देश को आजादी मिले 75 साल हो गए, लेकिन कोई सरकार एक राष्ट्रीय रोजगार नीति नहीं बना पाई. इसकी देश को जरूरत है, क्योंकि टुकड़े-टुकड़े में इसका समाधान नहीं हो सकता. उन्होंने आगे कहा कि देश में एक राष्ट्रीय रोजगार कानून बनाने की जरूरत है, तब इस देश में बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है. उसके लिए खुल्ले मन से काम करना पड़ेगा. इस तरह के लॉलीपॉप देकर बेरोजगारी की समस्या और गंभीर हो जाएगी. सभी सेक्टर के लिए एक समग्र पॉलिसी बनाने की जरूरत है. एक राष्ट्रीय रोजगार नीति वक्त की मांग है और इसको लागू करके ही बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है.

  इस दौरान देश की बात फाउंडेशन के सेंट्रल कोआर्डिनेशन इंचार्ज भाई कृष्णा यादव,भारतीय किसान यूनियन अध्यक्ष ऋषिपाल अंबावत, DKB सेंट्रल कोर्डिनेटर भानु भारतीय, श्रमिक विकास संगठन, दिल्ली अध्यक्ष गुलेश जैनर,जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष,जेएनयू पूर्व सचिव, शुभाशु , दिल्ली यूथ विंग प्रभारी रोहित लाकडा, cyss से रवि पांडेय , DTA प्रभारी  डॉ. हंसराज सुमन, नॉन टीचिंग स्टाफ केदारना , नयन (RJP अध्यक्ष), अभिषेक (SFI दिल्ली एग्जीक्यूटिव), रविंद्र सिंह तोमर (मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन), खालिद रजा खां (पहल दृष्टि , राष्ट्रीय भवन निर्माण मजदूर संघ ), मनोज क्रन्तिकारी (बेरोजगारी मुक्ति क्रांति सेना, प्रेजिडेंट ), अमित सांगवान (संयुक्त किसान मोर्चा, लीगल सेल कन्वेनर ), फारुख खां (उमंग एक नयी उड़ान) समेत कई  सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंच साझा किया.इस अवसर पर संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति के कई संगठनों के पदाधिकारियों प्रतिनिधियों ने रोजगार संसद में सहभागिता सुनिश्चित की.

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