राष्ट्रीय झंडे में खादी के कपड़े का प्रयोग किया जाये : साझा संस्कृति मंच ने डीएम , कमिश्नर को सौंपा ज्ञापन
Varanasi News , आजादी के पचहत्तरवें वर्ष को “अमृत महोत्सव” के रूप में मनाने के क्रम में विभिन्न कार्यक्रम देश भर में आयोजित किये जा रहे हैं, इस सम्बन्ध में साझा संस्कृति मंच जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी, मंडलायुक्त और मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित करके उनसे झंडों के निर्माण में केवल खादी का कपड़ा प्रयोग करने, इसके लिए विद्यालयों को अलग बजट उपलब्ध कराने, खादी संस्थाओं को पुनर्जीवित करने, राष्ट्रीय नायको के स्मारकों के उचित रखरखाव करने जैसी 12 सूत्रीय मांग की।
ज्ञापन में मांग की गयी कि -
1. वाराणसी स्थित विद्यालयों में “हर घर तिरंगा” आयोजन के तहत बच्चो से झंडा संग्रह किया जा रहा है. जिन विद्याथियों को प्रायः किताब, कॉपी, पेन की किल्लत से जूझना पड़ता है उनके ऊपर विद्यालय में झंडा दान करने का यह आदेश एक अनावश्यक आर्थिक बोझ बन रहा है। कृपया इस संकलन प्रक्रिया को बंद करें और यदि करना ही है तो इस मद में बजट आवंटित करने की व्यवस्था करें।
2. यह सुनिश्चित किया जाय कि राष्ट्र ध्वज खादी के कपड़े से ही मानक के अनुरूप बने, पोलिएस्टर आदि कपड़ों के नही।
3. राष्ट्रीय आंदोलन के नायकों उनसे जुड़े स्थलों स्मारकों का रख रखाव, प्रतीकों का संम्मान और उनकी मर्यादा आजादी के महोत्सव में 75 वर्षों की परम्परा के अनुसार सुरक्षित किया जाय।
4. सभी जिलों के सभी स्वतंत्रता सेनानियों की सूची तैयार कर के स्तम्भ पर लिख कर शहीद पार्क में लगाये जाए।
5. वाराणसी कचहरी परिसर के समीप एल टी कॉलेज परिसर में संत विनोबा भावे और स्वामी विवेकानंद जी के काशी प्रवास की स्मृतियों को संरक्षित किया जाय।
6. वाराणसी में बेनिया बाग स्थित गांधी चौरा को सम्मान सहित पुनः स्थापित किया जाय । टाउनहॉल में पुनर्निर्माण और मरम्मत कार्य के दौरान हटाए गए शहीद स्तम्भ को पुनः स्थापित किया जाए।
7. सभी विद्यालयों में सर्वधर्म प्रार्थना, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के आश्रम भजनावली से अनिवार्य रूप से कराई जाय।
8. सभी समारोहों, विद्यालयों में संविधान की प्रस्तावना का पाठ राष्ट्रगान की तरह अनिवार्य किया जाए।
9. खादी संस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए उनके सभी कर्जे माफ किये जाये और उत्पादन की गतिविधियों लिए उन्हें ब्याज मुक्त कर्ज उपलब्ध कराया जाय।
10. सभी सरकारी इमारतों में खादी / हैंडलूम के कपड़ो की खरीद अनिवार्य की जाय।
11. हर जिले में कपास की पूनी सूत विक्रय केंद्र स्थापित हो।
12. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 में मिली आजादी तक और उसके बाद के 75 वर्षों के प्रमुख एवं उल्लेखनीय घटनाक्रम से जुड़े चित्रों की प्रदर्शनी विद्यालय स्तर पर आयोजित की जाय।
प्रतिनिधिमंडल सदस्यों में से एक सदस्य जागृति राही ने कहा कि सैकड़ो करोड़ में घाटों पर दिए जल रहें हैं। अनावश्यक खर्च सरकार जोर शोर से कर रही है।वही राष्ट्रीय महत्व के आयोजन अमृत महोत्सव में घरों पर झंडा लगाने के लिए बिना बजट आवंटन किये जबरन स्कूलों में गरीब मध्यम वर्ग के बच्चो से वसूली की जा रही है। वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि टाउनहॉल जो कि आजादी की लड़ाई का बनारस स्थित बड़ा प्रतीक है उसमें शहिद स्तम्भ को विस्थापित कर दिया गया है।उस स्तम्भ पर शहीदों के नाम उल्लेख रहे, उस स्तम्भ को तत्काल सम्मानपूर्वक लगाना चाहिए। धनञ्जय त्रिपाठी ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद उनका अस्थिकलश बेनियाबाग स्थित पार्क में दर्शन के लिए लायज्ञ था। उस स्थान पर गांधी चौरा बनाया गया था।सुंदरीकरण के नाम पर गांधी चौरा हटाया गया है, उसे पुर्नस्थापित किये बिना बनारस अम्रत महोत्सव कैसे मना पाएगा ? डा0 अनूप श्रमिक , अधिवक्ता राजेश यादव, अधि0 अशोक सिंह, कल्पनाथ शर्मा, फसाहत हुसैन बाबू, हसन मेंहदी,आशीष पाठक आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।
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