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UP Elections: आखिरी बार Voting करेंगे 11 गांव के ये लोग, सब जानकर भी Yogi Adityanath सरकार चुप

UP Elections: आखिरी बार Voting करेंगे 11 गांव के ये लोग, सब जानकर भी Yogi Adityanath सरकार चुप

 UP Assembly Elections 2022 के दौरान जहां लोगों में उत्साह है तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से 200 किलोमीटर दूर झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के 11 गांव के लिए यह विधानसभा चुनाव आखिरी चुनाव होगा। क्योंकि इस गांव में किसी भी पार्टी के नेता या विधायक ने इन की बुरे दिनों में कोई मदद नहीं की है। यहाँ 11 गाँव ऐसे हैं जहां लोग चुनाव को लेकर बिल्कुल खामोश है। कुछ भी बोलने से इंकार कर देते हैं। जबकि जून 2023 तक यहाँ सिंचाई के लिए बन रहे कनहर डैम के कारण यह इलाका यानी 11 गाँव पूरी तरह से डूब जाएंगे। 11 गावँ हमेशा के लिए सोनभद्र जिले के मानचित्र से विलुप्त हो जाएंगे। लेकिन प्रशासन या सरकार की ओर से अभी तक यहाँ के लोगों के रहने और रोजगार की कोई व्यवस्था तक नहीं की है।
मार्च में आखिरी बार करेंगे वोट
 सोनभद्र जिले में बनने वाले कनहर बांध से विस्थापित क्षेत्र के लोग 7 मार्च को आखरी बार अपने घरों से वोट डालने निकलेंगे। 62 वर्षीय फूल कुंवर देवी कनहर सिंचाई परियोजना के कारण डूबने वाले पहले गांव सुंदरी गांव की रहने वाली हैं। बांध के कारण फुल कवर का 20 बीघा जमीन डूब जाएगी। फूल कुंवर का अपनी पुश्तैनी जमीन छोड़कर जाने के लिए भी तैयार हैं लेकिन मुआवजा, रोजगार और अपनी ज़मीन को छोडने के दर्द कोे लेकर वह काफी परेशान और सरकार से नाराज भी हैं।

 27 सौ करोड़ लगाकर बन रहा कनहर डैम
 जून 2023 तक जनपद के अमवार गांव में पागंन नदी और कनहर नदी के संगम पर चार दशक से बन रहे 27 सौ करोड़ की लागत से बनने वाला कनहर डैम बनकर तैयार हो जाएगा । तब सिन्दूरी, भिसूर ,कोरची गांव सहित 11 गांव बांध के पानी मे डूब जाएंगे। कनहर सिंचाई परियोजना के मुख्य बांध का काम 80% से अधिक हो चुका है। जून 2023 में बरसात से पहले इस मुख्य बांध में पानी रोकने की योजना है।

2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा NOTA का प्रयोग
 2017 विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में सबसे अधिक 18,498 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया था। जिसमे अधिकांश नोटा का प्रयोग डूब क्षेत्र के लोगों ने किया था।
अजीब सी खामोशी है कनहर
सोनभद्र जिले में बन रहे कनहर सिंचाई परियोजना के कारण डूबने वाले 11गांव में एक अजीब सी खामोशी है। चुनाव को लेकर यहां कोई भी चर्चा ही नहीं करना चाहता। डूब क्षेत्र के कोरची गांव के 32 वर्षीय पंकज कुमार गौतम कई वर्षों से विस्थापितों को मुआवजा दिलाने को लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं। पंकज कहते हैं कि संघर्ष के दिनों में कोई भी जनप्रतिनिधि ने उन लोगों का साथ नहीं दिया। इसलिए इस बार चुनाव में एकजुट होकर पूरे विस्थापित लोग मतदान करेंगे।

 1976 से 1982 में मिला था मुआवजा
 कनहर बांध के लिए 1976 से लेकर 1982 तक जब सरकार ने यहां की जमीने ली थी और मुआवजा भी दिया था तब लोग अपने घरों से नहीं निकले क्योंकि 1984 में बांध का काम बंद हो गया । अब जब 40 वर्षों के बाद कनहर बांध का काम पुनः शुरू हुआ है ।तब यहां के लोग नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत मुआवजा की मांग कर रहे हैं।
 
न पैसा है, न काम, ज़मीन सरकार ने छीन ली
 सरकार कहती है कि मुआवजे को लेकर कोई भी संशोधन नहीं होगा । लेकिन प्रत्येक परिवार के 3 पीढी को ₹700000 और आवासीय भूमि दी जाएगी । 27 करोड़ की परियोजना आज बढ़कर 27 सौ करोड़ पार कर गई है । परेशानी इस बात का है कि 1976 में 14 सौ परिवार को मुआवजा दिया गया था लेकिन आज 10000 परिवार इसकी मांग कर रहे हैं जिसे सरकार नहीं मान रही है इसको लेकर लोगों में आक्रोश है।

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