Varanasi News : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का नया कारनामा, छात्रों को दे रहे गोबर के उपले बनाने की क्लास
Varanasi । माता पिता अपने बच्चों की पढ़ाई पर लाखों खर्च करते हैं ताकि उनके बच्चे उच्च शिक्षा हासिल कर एक दिन अच्छी नौकरी कर सकें। लेकिन क्या हो जब पढ़ाने वाले प्रोफेसर ही छात्रों को किताबी ज्ञान छोड़ गाय के गोबर से उपले बनाना सिखाएं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय से छात्रों का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें गोबर से उपले बनाना सीखकर छात्र रोजगार देने की बात कर रहे हैं। वीडियो को यूनिवर्सिटी के ही एक विभाग ने ट्वीट किया है। वीडियो वायरल होने के बाद लोगों की तीखी आलोचना भी शुरू हो गई है।
देश के युवाओं की सबसे बड़ी चिंता बेरोजगारी है। ज्यादातर युवा रोजगार न मिलने से सबसे ज्यादा चिंतित है। शायद यही वजह है कि बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी से पढ़ने वाले अधिकतर छात्र किसी अच्छी नौकरी या बिजनेस के बजाय 'एमबीए चाय वाला' 'पकौड़ा वाला' जैसे काम शुरू कर रोजगार के नाम पर अपनी गाड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं। यूपी में पकौड़ा रोजगार को सबसे चर्चित है। मगर अब पकौड़ा रोजगार की अपार सफलता के बाद छात्र गोबर पाथने के रोजगार में भी हाथ आजमा रहे हैं।
दरअसल, बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय के प्रमुख की तरफ से वीडियो शेयर किया गया है। इसमें छात्र उपले बनाना सीख रहे हैं। वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा, 'सामाजिक विज्ञान संकाय के समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र में छात्रों को गाय के गोबर की उपली या गोहरी बनाने की ट्रेनिंग के लिये वर्कशाप सम्पन्न हुआ।'
बीएचयू के जिस प्रोफेसर को विश्वविद्यालय में पॉलिटिकल साइंस पढ़ाने के लिए नियुक्त किया गया था और जो सोशल साइंस फैकल्टी का डीन है, वह विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों को गोबर पाथने का हुनर और गोबर का माहात्म्य समझा रहा है। एक प्रोफेसर गोबर पाथना सिखा रहा हैं और छात्र गोबर पाथ रहे हैं। छात्रों का कहना है कि जब वह गोबर पाथना सीख जाएंगे, तब गांव में जाकर लोगों को ट्रेनिंग देंगे। इससे आर्थिक लाभ भी होगा और रोजगार भी मिलेगा। उपले बनाने में भारतीय नस्ल की गाय का गोबर प्रयोग में लाया गया है। छात्रों ने देसी गाय के गोबर से मिलने वाले रोजगार की जानकारी दी है।
लोग कर रहे आलोचना
वीडियो पर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। यूजर्स इसे माता पिता के पैसों की बर्बादी बता रहे हैं। अभिषेक गोंड नाम के यूजर ने लिखा, 'ऐसा तो हमारे गांव की दादी, चाची और बहने ऐसा कर लेती हैं, अच्छा है जो गांव से बहनें पढ़ने जायेगी उनको सब ये पता रहेगा...'। वहीं अन्य यूजर धीरेंद्र विक्रम कुशवाहा ने कहा, 'इसकी भी ट्रेनिंग, गांव-गांव घूमते तो, गांव की महिलाओं को भी, मदद हो जाती।'
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