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Writing With Fire : भारत की राइटिंग विद फायर को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में मिली जगह, आस्कर नामिनेशन पर भारत में बधाइयों की बौछार

Writing With Fire : भारत की राइटिंग विद फायर को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में मिली जगह, आस्कर नामिनेशन पर भारत में बधाइयों की बौछार

 Delhi , डॉक्यूमेंट्री फिल्म राइटिंग विद फायर को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी के तहत ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है। ऑस्कर नामांकन पाने वाली यह पहली भारतीय डॉक्यूमेंट्री फीचर बन गई है। इस भारतीय डॉक्यूमेंट्री को द वाशिंगटन पोस्ट ने सबसे प्रेरक पत्रकारिता फिल्म बताया है, जबकि द न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी इसे सराहा है। ऑस्कर की दौड़ में पहुंची भारत की एकमात्र सिर्फ़ दलित महिला पत्रकारों की संस्था ‘ख़बर लहरिया’ डॉक्यूमेंट्री फिल्म राइटिंग विद फायर निर्देशक रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित राइटिंग विद फायर दलित महिलाओं द्वारा संचालित भारत के एकमात्र समाचार पत्र खबर लहरिया के उदय के इतिहास पर आधारित है।

यह बिहार के सीतामढ़ी और यूपी के बांदा जिले में हाशिए पर रहने वाले समुदायों की महिलाओं द्वारा संचालित सामुदायिक समाचार पत्र खबर लहरिया की प्रेरक कहानी का दस्तावेज है। पिछले साल सनडांस फिल्म फेस्टिवल में शीर्ष पुरस्कार जीतने वाली राइटिंग विद फायर की कहानी अखबार की प्रिंट से डिजिटल माध्यम तक की यात्रा का पता लगाती है, जिसमें महिलाएं साहसी स्मार्टफोन पत्रकार बन जाती हैं। सनडांस इंस्टीट्यूट द्वारा समर्थित, डॉक्यूमेंट्री को अखबार के मुख्य रिपोर्टर और क्राइम रिपोर्टर के रास्तों का अनुसरण करते हुए पांच वर्षों में शूट किया गया था, क्योंकि वे देखते हैं कि कभी-कभी उनके जैसी महिलाओं के लिए एक कठिन और खतरनाक दुनिया क्या हो सकती है। खबर लहरिया चलाने वाले और प्रिंट से डिजिटल में इसके बदलाव की देखरेख करने वाले सिटीजन जर्नलिस्ट्स की कहानी को संयुक्त राज्य में लगभग हर फिल्म ट्रेड मैगजीन ने खास प्रशंसा के साथ बधाई दी है। भारतीय सिनेमा के लिए एक बार गर्व करने वाला पल आया है और दुनिया के सबसे बड़े अवॉर्ड समारोह में भारत ने एक बार फिर अपनी जगह बना ली है। इस डॉक्यूमेंट्री की चहुंओर सराहना की जा रही है।

दलित फ़ाउंडेशन के डिप्टी डायरेक्टर प्रदीप मोरे ने सोशल मीडिया पर खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि खबर लहरिया’ नामक अख़बार दलित महिलाओ द्वारा 20 साल पहले बुंदेलखंड क्षेत्र में पहली बार शुरू किया गया था इस समूह को दलित फाउंडेशन एकमात्र पहला संस्था था जिन्होंने फेलोशिप के माध्यम से आर्थिक रूप से मदद कर इस संगठन को मजबूत करने का कार्य किया था। इसी तरह नीलू दहिया, राजकुमार गुप्ता, कंचन कुमारी, नीतिन, रीता बौद्ध, साधना, नारायण मलिक, इरफ़ान हबीब, विभा वर्मा आदि लोगों ने देशभर से सोसल मीडिया पर बधाईयो की बौछार कर दी है।

प्रदीप मोरे ने आशा किया है की, इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार का सम्मान मिले। बताते चलें कि इन अंतिम नामांकन से, विजेताओं की घोषणा 27 मार्च, 2022 को की जाएगी। यह ऑस्कर पुरस्कार विश्व का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण माना जाता है जो हर साल प्रमुख फिल्मों को दिया जाता है।
वाराणसी से स्वतंत्र पत्रकार राजकुमार गुप्ता की रिपोर्ट

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