Punjab Election 2022 : पंजाब में टल सकते हैं चुनाव! चन्नी सरकार की मांग पर चुनाव आयोग की अहम बैठक आज
Punjab Election, पंजाब में विधानसभा चुनाव को लेकर सोमवार का दिन काफी अहम है। दरअसल सोमवार को चुनाव आयोग मतदान की तारीखों को लेकर बड़ा फैसला ले सकता है। निर्वाचन आयोग सोमवार को होने वाली बैठक में पंजाब के सियासी दलों की उस मांग पर विचार करेगा जिसमें उन्होंने गुरु रविदास जयंती के मद्देनजर विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी को प्रस्तावित मतदान को टालने का अनुरोध किया है। बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने निर्वाचन आयोग से रविदास जयंती को देखते हुए वोटिंग को छह दिन के लिए टालने का अनुरोध किया है।
पंजाब विधानसभा चुनाव की तारीखों आगे बढ़ सकती है। चुनाव आयोग चन्नी सरकार की रविदाय जयंती वाली दलील को लेकर सोमवार को मंथन करेगा। इस मंथन में सभी तरह के पक्षों पर विचार किया जाएगा। विचार के बाद सहमति बनती है तो कम से कम एक हफ्ते के लिए पंजाब विधानसभा चुनाव की वोटिंग टल जाएगी।
दरअसल पंजाब में विधानसभा चुनाव एक ही चरण में होना है। ऐसे में पंजाब के राजनीतिक दल चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा वोटिंग हो, जिसके लिए जरूरी है कि चुनाव ऐसी तारीख पर कराए जाएं जब मतदान में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी हो।
क्यों चुनाव टालने की मांग
दरअसल रविदास जयंती को लेकर राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग ने मतदान टालने की अपील की है। प्रस्तावित मतदान को टालने के लिए चन्नी सरकार के साथ-साथ बीजेपी और बसपा सहित अन्य पार्टियों ने भी अनुरोध किया है। बता दें कि लाखों श्रद्धालु रविदास जयंती मनाने के लिए उत्तर प्रदेश के वाराणसी जाते हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों का मानना है कि वे इसकी वजह से मतदान नहीं कर पाएंगे।
इस साल गुरु रविदास की जयंती 16 फरवरी को पड़ रही है। ऐसे में प्रबल संभावना है कि चुनाव आयोग अपनी मीटिंग में चुनाव की तारीख को आगे बढ़ा सकता है।
बीजेपी की पंजाब इकाई के महासचिव सुभाष शर्मा ने रविवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त को एक पत्र भी लिखा है। इस पत्र में चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की गई है। वहीं कांग्रेस के अलग होने के बाद अलग पार्टी बना चुके पंजाब लोक दल के संस्थापक कैप्टन अमरिंदर सिंह भी यह मांग कर चुके हैं।
पंजाब में रविदास अनुयायियों की आबादी 32 फीसदी
दरअसल 'राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय सहित गुरु रविदास जी के अनुयायियों की अच्छी खासी आबादी है, जो पंजाब की आबादी का लगभग 32 फीसदी है।' यही वजह है कि राजनीतिक दलों को लगता है कि इससे चुनाव प्रभावित होंगे, काफी लोग वोट नहीं डाल पाएंगे।
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