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Varanasi Today : PM मोदी के संसदीय क्षेत्र के करसड़ा के उजाड़े गए मुसहर परिवारों को इंसाफ़ दिलाने के लिए प्रतिनिधि मंडल एसडीएम से मिला

Varanasi Today : PM मोदी के संसदीय क्षेत्र के करसड़ा के उजाड़े गए मुसहर परिवारों को इंसाफ़ दिलाने के लिए प्रतिनिधि मंडल एसडीएम से मिला

 वाराणसी, 80 दिन पहले राजातालाब तहसील प्रशासन ने करसड़ा के तेरह मुसहर परिवारों के इनके आशियाना के साथ इनकी अपनी पाठशाला मटियामेट कर दिया था। तब से ये बेघर हैं। यहाँ पिछले 10 सालों से ये लोग झुग्गी झोपड़ी बनाकर रह रहे थे।
अब उजड़े आशियाने के पास यही पीड़ित तिरपाल लगा कर डेरा जमाए हुए हैं इस हाड़ कँपाती ठंड में दिन यहीं गुजरता है और रात भी। जिस दिन घर उजड़ा, उसी दिन से दिनचर्या बदल गई। रोज़गार बंद हैं बच्चों के स्कूल जाना भी छूट गया। अब माता-पिता रोज सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं। बच्चे भी उनके साथ आवाज बुलंद करते हैं। मांग करते हैं कि कहीं भी सिर ढकने की छत मुहैया करवा दो। 

 शुक्रवार को पीड़ितों ने सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता के नेतृत्व में राजातालाब उपजिलाधिकारी उदयभान सिंह से मुलाक़ात करने पहुंचे। इन पीड़ितों की आवाज और आंखों में कुछ सवाल थे। जिनका उत्तर जानने ये एसडीएम के पास गए थे और एसडीएम से सवाल उठाते हैं कि क्या हमारे बच्चों को पढ़ने का, इस आजाद भारत में जिंदगी जीने का हक नहीं। क्या प्रशासन और सरकार इतनी निर्दयी हो चुकी है कि ढाई महीने से खुले आसमान तले रह रहे पीड़ित परिवारों और मासूम बच्चों के चेहरे देखकर भी चुपचाप बैठी है। कहां हैं आवासीय अधिकार और शिक्षा का अधिकार कानून बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर ने सबको जीवन जीने और स्वतंत्रता और समानता का अधिकार ज़रूर दिया है और केंद्र सरकार ने शिक्षा के अधिकार को जरूरी कर दिया। जो बच्चे स्कूल नहीं जाते, उन्हें ढूंढकर स्कूलों तक पहुंचाया जा रहा है। सर्व शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है, फिर क्यों इन बच्चों को स्कूल से दूर कर दिया गया। यह कोई जानने तक नहीं आया। कई गैर सरकारी संस्थाएं हैं, जो सिर्फ इस बात के लिए सरकार से पैसा लेती हैं कि बेघर या स्कूल न जा सकने वाले बच्चों को शाम के समय पढ़ाएंगी। लेकिन वे भी इन बच्चों की सहायता के लिए आगे नहीं आ रहीं। सरकारें वोट बैंक पाने के लिए गरीबों को सस्ता अनाज देने, मुफ्त बिजली, जमीन आदि देने जैसी योजनाएं शुरू कर देती हैं। पर इन 13 बेघरों के लिए सरकार ने अभी तक क्यों नहीं कुछ सोचा। ये लोग 10 साल से करसड़ा मे अपने आशियानों में रह रहे थे। इन्हें उजाड़ने से पहले नई जगह बसाने की कोई योजना नहीं बनाई गई। जबकि ऐसा संभव भी था। एसडीएम उदयभान सिंह का कहना है कि भूमि आवंटित कर दिया गया हैं और प्रधानमंत्री आवास भी दिया जा रहा है जिसका पैसा कुछ दिनों मे लाभार्थियो के खाते में चला जाएगा।

कब-क्या हुआ
29 मार्च : 10 साल से करसड़ा गाँव में दिहाड़ी मज़दूरी करने वाले 13 मुसहर परिवारों को तहसील की टीम ने पुलिस की मदद से उजाड़ दिया। इनकी पुश्तैनी ज़मीन पर किए गए कब्जे को छुड़वा लिया गया। यह लोग 17 दिसंबर आजतक उसी ज़मीन पर अपने उजड़े घरों की ईंटें और सामान के साथ पड़े रहे। 
17 दिसंबर: तहसीलदार श्याम कुमार राम मय फ़ोर्स तहसील कर्मियो के साथ उस ज़मीन को खाली करवाने के लिए दोबारा सुबह 10 बजे कार्रवाई की कोशिश की। इन परिवारों से सहमति पेपर जबरन दस्तख़त करवाने और हटवाने का प्रयास किया गया। इस कार्यवाही के बाद विरोध स्वरूप सभी पीड़ित परिवार सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एसडीएम दफ्तर में मुलाक़ात कर इंसाफ़ दिलाने की माँग रखी। प्रतिनिधि मंडल में पीड़ित बुद्धुराम, राजेश कुमार, मुनीब, बलदेव, शंकर, धर्मू आदि सहित सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता, तहसील बार के पूर्व अध्यक्ष सर्वजीत भारद्वाज, पूर्वांचल किसान यूनियन के अध्यक्ष योगीराज सिंह पटेल, बाबु अली साबरी, डा. अजय पटेल, अधिवक्ता केशव वर्मा आदि लोग उपस्थित थे।

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