Uttar Pradesh Election : यूपी के मौजूदा 45 नामी विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय, एडीआर ने किया खुलासा,सबसे अधिक भाजपा के विधायक दागी
Uttar Pradesh : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर तमाम तरह की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। चुनावी सीटों और उम्मीदवारों का बहीखाता रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। एडीआर ने अपनी रिपोर्ट बताया कि, रमाशंकर सिंह, मुख्तार अंसारी समेत उत्तर प्रदेश के 45 विधायक इस बार यूपी विधानसभा चुनाव 2022 नहीं लड़ सकेंगे। इस पर संशय है। वजह ये है कि इन मौजूदा 45 विधायकों पर एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोप तय हो गए हैं। और अगर तय मामलों में कम से कम छह माह की सजा हुई तो छह साल बाद तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी रहेगी। बाकी निर्णय चुनाव आयोग करेगा। और राजनीतिक दल भी इन के बारे में बात करने से परहेज कर रहीं हैं।यूपी के मौजूदा 45 नामी विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय, एडीआर ने किया खुलासा
एडीआर मुख्य समन्वयक डा. संजय सिंह ने रिपोर्ट जारी किया और कहा कि, इस रिपोर्ट में सबसे अधिक विधायक सत्ताधारी दल के हैं। भाजपा के 32, सपा के पांच, बसपा व अपना दल के 3-3 और कांग्रेस व अन्य दल के एक-एक विधायक शामिल है। इन 45 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित रहने की औसत संख्या 13 वर्ष है। 32 विधायकों के खिलाफ दस साल या उससे अधिक समय से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं।
रमाशंकर सिंह टॉप पर, मुख्तार अंसारी सेकेंड
जारी रिपोर्ट में सबसे उपर नाम मड़िहान विधानसभा से भाजपा विधायक रमाशंकर सिंह, दूसरे स्थान पर बसपा के मऊ से मुख्तार अंसारी, तीसरे स्थान पर धामपुर से भाजपा विधायक अशोक कुमार राना हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का नाम भी इस सूची में शामिल है।
27 साल से मुकदमा पर अभी तक तय नहीं हुआ था आरोप
रिपोर्ट में बताया गया है कि रमा शंकर सिंह पर 27 साल से मुकदमा चल रहा है पर आज तक आरोप तय नहीं हो पाए। बाहुबली मुख्तार असांरी पर 26 वर्ष, अशोक राना पर 25 वर्ष, संजीव राजा पर 24 वर्ष, कारिंदा सिंह पर 23 साल से मुकदमे चल रहे हैं। पर आरोप तय नहीं हो पाए। सूचनाओं को छिपाया भी जाता था मसलन किसी कोर्ट में अपराध तय भी हो गया तो उम्मदीवार उसे छुपा लेते थे।
वर्ष 2018 में हुई एमपी-एमएलए कोर्ट की स्थापना
विधायकों के कारनामों का खुलासा करने और उस पर ऐक्शन लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कदम उठाया। वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट की स्थापना हुई और यहां तीन साल की अवधि में ही इन विधायकों पर आरोप तय कर लिए गए।
आर.पी अधिनियम क्या है, जाने 1951 की धारा 8(1) (2) और (3)
दरअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में राज्य में, संसद के किसी भी सदन के सदस्य के साथ-साथ विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य के रूप में होने और चुने के लिए व्यक्तियों की अयोग्यता का प्रावधान है। अधिनियम की धारा 8 की उप-धाराएं (1), (2) और (3) में प्रावधान है कि इनमें से किसी भी उपधारा में उल्लेखित अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा और उसकी रिहाई के छह साल बाद तक की अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा। इसमें हत्या से बलात्कार, डकैती से लेकर अपहरण और रिश्वत जैसे अपराध भी शामिल हैं।
जानें नाम जिन पर लटका रही है तलवार
नाम- विधानसभा क्षेत्र- पार्टी
रमा शंकर सिंह-मड़िहान- भाजपा
मुख्तार अंसारी- मऊ-बसपा
अशोक कुमार राणा-धामपुर-भाजपा
सूर्य प्रताप-पथरदेवा-भाजपा
संजीव राजा-अलीगढ़-भाजपा
कारिंदा सिंह- गोवर्धन-भाजपा
राज कुमार पाल-प्रतापगढ़-अपना दल
सुरेश्वर सिंह-महसी-भाजपा
मो रिजवान-कुंदरकी-सपा
(उपरोक्त विधायकों पर तीनों धाराओं में
आरोप तय, 20 से अधिक मामले)
अमर सिंह-शोहरतगढ़-अपना दल
हरिराम-दुद्धी- अपना दल
उमेश मलिक-बुढ़ाना-भाजपा
सत्यवीर त्यागी-मेरठ-किठोर
मनीष असीजा-फिरोजाबाद-भाजपा
नंद किशोर-लोनी भाजपा
देवेन्द्र सिंह-कासगंज-भाजपा
वीरेन्द्र-एटा-भाजपा
विक्रम सिंह-खतौली-भाजपा
धर्मेन्द्र कु सिंह शाक्य-शेखुपुर-भाजपा
राजेश मिश्र-बिथरी चैनपुर-भाजपा
बाबू राम-पूरनपुर-भाजपा
मनोहर लाल-मेहरौनी-भाजपा
बृजभूषण -चरखारी-भाजपा
राजकरन-नरैनी-बांदा
अभय कुमार-रानीगंज-भाजपा
राकेश कुमार-मेंहदावल-भाजपा
संजय प्रताप जायसवाल-रुधौली-भाजपा
राम चंद्र यादव-रुदौली-भाजपा
गोरखनाथ-मिल्कीपुर-भाजपा
इंद्र प्रताप-गोसाईगंज-भाजपा
अजय प्रताप-कर्नलगंज-भाजपा
श्रीराम-मोहम्मदाबाद गोहना-भाजपा
आनंद-बलिया-भाजपा
सुशील सिंह-सैयदरजा-भाजपा
रवीन्द्र जायसवाल-वाराणसी उ-भाजपा
भूपेश कुमार-राबर्ट्सगंज-भाजपा
सुरेन्द्र मैथानी-गोविंदनगर-भाजपा
असलम अली-धोलना-बसपा
मो असलम-भिनगा-बसपा
अजय कुमार लल्लू-तमकुहीगंज-कांग्रेस
विजय कुमार-ज्ञानपुर-अन्य दल
राकेश प्रताप सिंह-गौरीगंज-सपा
शैलेन्द्र यादव ललई-शाहगंज-सपा
प्रभुनाथ यादव-सकलडीहा-सपा
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