Gujarat Crime News : गुजरात में महिनों पहलें बिहार के युवक की राड से मारकर हत्या, पीड़ित परिवार को अब-तक नहीं मिला इंसाफ
Gujrat, माता-पिता बच्चे को बचपन से लोटपोट, लाट दुलार, पढ़ाई लिखाई से परिपूर्ण करते हैं कि मेरा बच्चा जब बड़ा होगा तो मेरे जयिफी (बुढ़ौती) का सहारा बनेगा। अगर बच्चे को कुछ हो जाता है तो मा-बाप का सहारा खत्म हो जाता। ऐसे में गरीब परिवार रोड पर उतर कर भीख मांगकर अपना जीवनयापन करते हैं। सारा ख्वाब को भूलकर अपनी जिंदगी काटते हैं। ऐसा ही कुछ मामला बिहार के विधानसभा चैनपुर का है। आठ महीने पूर्व चैनपुर थाना क्षेत्र के कसाव टोला के निवासी शेख मुख्तार के पुत्र शेख अकिल (28 वर्ष) गुजरात में रोजी रोटी कमाने के लिए गया था। जहां पर तीन स्थानीय युवकों ने पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। वह मरने से चार दिन पहले ही चैनपुर से गुजरात गया था। विधवा पत्नि ने हफ़्ते भर पहले एक नवजात को जन्म दिया। बच्चे के पैदाइश के पहले ही सिर से उठा पिता का साया।
जानकारी के मुताबिक चैनपुर कसाव टोला के निवासी शेख अकिल पिछले कई वर्षों से गुजरात में रहकर कमाता था। चार माह पूर्व वह चैनपुर अपने घर निकाह को लेकर आया था। जनवरी माह में अकिल का निकाह हुआ था। जिसके बाद 23 अप्रैल को ही चैनपुर से गुजरात तक जाने वाली टाइगर ट्रेवल बस से निकला। वह 25 अप्रैल को गुजरात पहुंचा था, जहां पानी पीने को लेकर मामूली विवाद के दौरान कुछ स्थानीय युवकों ने लोहे की रॉड एवं डंडे से सिर पर प्रहार दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
भाइयों से हो रहे झगड़े को छुड़ाने गया था शेख अकिल
समाजसेवी शेख अशफ़ाक अहमद बबलू ने बताया कि अकिल कुल पांच भाई हैं। इसमें वह एवं उनसे दो छोटे भाई गुजरात में रहकर साड़ी बनाने वाले एक कंपनी में कार्य करते थे। जनवरी माह में ही उसका निकाह हुआ था। जिसके बाद वह लगभग चार महीने तक चैनपुर में ही रहा। 23 तारीख की शाम चार बजे चैनपुर से ही खुलने वाली बस से वह गुजरात गया था। 25 अप्रैल की दोपहर 12 बजे के करीब गुजरात के राजकोट में पहुंचा, जहां से वह सीधे कंपनी में गया। उस दौरान पहले से मौजूद वहां उसके दो भाई से स्थानीय कुछ गुजराती युवकों के साथ पानी पीने को लेकर झगड़ा हो रहा था। यह देख बीच बचाव करने पहुंच गया। उसी दौरान गुजरात के ही स्थानीय तीन युवक लोहे की रॉड एवं डंडे से शेख अकिल के सिर पर प्रहार करने लगे, जिससे वह बेहोश होकर वहीं पर गिर गए। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। समाजसेवी अशफ़ाक अहमद बबलू ने कहा कि अगर यहां भी फैक्ट्री होती या कोई अच्छा रोजगार मिल जाता तो किसी को कमाने के लिए कहीं आने-जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
अचानक हुए इस हादसे से पूरा परिवार सदमे हो गया था। मृतक की गर्भवती पत्नी का रो - रो कर बुरा हाल हुआ था। अकिल को पांच भाई एवं एक बहन है। इसमें वह दूसरे नंबर पर था। स्वजनों ने बताया 28 अप्रैल तक शव पहुंचेगा।
अल्पसंख्यक मंत्री ने गुजरात सरकार से वार्ता कर मुआवजा दिलाने की करी थी बात
मौत की खबर सुनकर बिहार सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री व क्षेत्रीय विधायक जमा खां मौके पर पहुँचे। उन्होंने पीड़ित परिवार को हिम्मत देतें हुए आरोपियों को सजा दिलाने व घरवालों को गुजरात सरकार से मुआवजा दिलाने का आवाह्न किया था। लेकिन 8 महिने बीत गये न दूबारा कोई नेता घर गया और ना ही मंत्री जमा खां। माता-पिता व विधवा पत्नि के आखों से नहीं रूकते आशू। यहीं सोचते हैं अब कौन बनेगा मेरा सहारा, कहाँ से लाउ खोजके अपने लाल को।
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