Varanasi News : किसानों ने लगाया आरोप, PM Modi की रैली से कई बीघे जमीन की फसल नष्ट, 30 हजार का झांसा देकर दिया 19400 प्रति बीघा मुआवजा
वाराणसी, मिर्जामुराद क्षेत्र के मेहदीगंज गांव के सैकड़ों किसानों ने 25 अक्टूबर को पीएम के सभा के पहले अपने खेतो मे धान की फसल बोई थी। कर्ज उठाकर फसल को खाद पानी लगाया, तो फसल की हरियाली देखकर मारे खुशी किसानों के दिल कुलाचे भरने लगा था।
किसानों ने सोचा था इस बार अनाज बेचकर सिर से कर्ज का बोझा उतार फेकूंगा, लेकिन प्रधानमंत्री की बीते सोमवार की सभा ने सब चौपट कर दिया। प्रशासन ने लहलहाती कच्ची धान की फसल पर हैलीपैड और सभा स्थल बना दिया और फसल के मनमाने दर पर कुछ रुपए का चेक पकड़ा दिए। यह कहते हुए किसानो की आंखो से आंसू बहने लगे है।
एक ओर जहां मौसम की बेरुखी और खाद बीज की महंगाई ने अन्नदाताओं के सामने लागत भी नहीं निकलने का संकट खड़ा कर दिया, वही दूसरी ओर रही सही कसर प्रधानमंत्री की सभा ने पूरी कर दी। कहानी मिर्जामुराद क्षेत्र के सभा स्थल मेहदीगंज गांव के ही पीड़ित ऐसे किसानो से जुड़ी हुई है, जो वास्तव में किसान है। देश के अन्नदाता है। यहाँ के किसानो की फसल और उपजाऊ खेत प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की भेंट चढ़ गई।
चूंकि फसल बड़ी हो गई थी तो किसानों के खेत मे पीएम के सभा स्थल के साथ हैलीपैड भी बना दिया गया। मीडिया मे चल रही ख़बरों और किसानों की माने तो प्रशासनिक अफसरों ने प्रति बीघा फसल के तीस हजार रुपए देने की पेशकश की गयी थी कच्ची फसल काटने के बाद पटवारी ने केवल 19 हजार 4 सौ रुपए के हिसाब से चेक दिए और कहा प्रति बीघा दस कुंटल ही उपज और एमएसपी दर से ही मुआवज़ा दिया जाएगा। किसानो का कहना है कि पहले तो पटवारी ने झूठ बोलकर उससे बिना लिखित सहमति लिए फिर प्रति बीघा 16 कुंटल उपज और तीस हज़ार के जगह दस कुंटल का ही केवल 19400 रूपये ही चेक दिया।
किसानो का कहना है कि सभा स्थल और तीन हैलीपैड बनाने में मजदूरों ने न केवल उनकी उपजाऊ ज़मीन बरबाद कर दिया, बल्कि अब रबी की बुवाई पिछड़ जाएगा साथ ही उपजाऊ जमीन भी चौपट हो जा रहा है। किसानो का कहना है कि इस संबंध में डीएम साहब के सामने भी दुखड़ा रोया गया था, लेकिन उन्होंने भी कोई सुनवाई नहीं की। समतल ज़मीन पर भी बन सकता था हैलीपैड और वर्चुअली कार्यक्रम हो सकता था।
सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि पास ही राजातालाब सब्ज़ी मंडी के पीछे और जगतपुर में कई बीघा मे फैला ग्राउंड खाली पड़ा है। प्रशासन इसी ग्राउंड में हैलीपैड और सभा स्थल बना सकता था। इससे न केवल किसानो की फसल भी बर्बाद होने से बच जाती, बल्कि ग्राउंड का भी सही से इस्तेमाल हो जाता। लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया किसानो के लहलहाती कच्ची फसलों के खेत को हैलीपैड और सभा के लिए चुना। ज्ञातव्य हो कि मोदी की रैली के लिए 119 किसानो की जमीन ली गई थी वो अब काफी दुखी नजर आ रहे है। इन किसानो की करीब 50 बीघा से अधिक जमीन को समतल करके सभा स्थल और हेलीपैड तैयार किया गया था। मेहदीगंज के जिन किसानों की जमीने सभा के लिए ली गई थी, वो कम मुआवजा मिलने की वजह से काफी दुखी है। मेहदीगंज के दशरथ पाल और इनके भाइयो की करीब साढ़े पांच बीघा जमीन पर खड़ी धान की फसल कई दिन पहले कटवा दी गई थी। दयाराम पटेल अपने घर में उदास बैठे है। सभा मे क्यो नहीं गए, पूछने पर बिफर पड़े। बोले, "हम तो तबाह हो जा रहे हैं। सभा के लिए जमीन लेते समय किसानों को यह नही बताया गया था कि जमीन को समतल करने के लिए हमारे खेतों की उपजाऊ मिट्टी ही निकाल ली जाएगी। हम रबी की फसल की तैयारी कैसे करेंगे? जिन खेतो मे मिट्टी ठोस होकर जमा हो जाएगी उसे उपजाऊ कैसे बनाया जाएगा, इसकी चिंता किसी को नही है। किसानो के खेतो की उपजाऊ मिट्टी लौटाने का वादा तो किया गया है, लेकिन यह प्रक्रिया कब और कैसे शुरू होगी यह नही बताया गया।" दयाराम कहते है, "एक बीघे में धान की फसल का मुआवजा 19,400 रुपये दिया गया, जबकि उन्हे 16 कुंतल फसल की कीमत मिलनी चाहिए। मुआवजा मिला सिर्फ 10 कुंतल की दर से। नई फसल उगाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करनी होगी।" दरअसल, पीएम की सभा के लिए खड़ी फसल समय से पहले काटे जाने पर मेहंदीगंज के किसानों ने विरोध शुरू कर दिया था। किसानों का कहना था कि उन्हें तय मानक के मुताबिक पूरा मुआवजा नहीं दिया गया। सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता किसानों का पक्ष लेते हुए कहते है, " राजातालाब और खजुरी में पीएम की रैलियां हुई थी, जहां दूसरी फसल उगाने के लिए किसानो को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। कृषि विभाग फिर से किसानो के खेतो की पड़ताल करे और किसानो को होने वाले नुकसान की भरपाई कराई जाए। सभा के लिए जिस तरह से खेतो की उपजाऊ मिट्टी निकाली गई है उससे सारे मित्र कीट नष्ट हो गए है। जाहिर है कि अगली फसल की उत्पादकता घट जाएगी। साथ ही खेती की लागत बढ़ जाएगी। मिट्टी की ऊपरी परत कड़ी होने से जलधारण क्षमता मे कमी आएगी। जल स्रोतो पर दबाव भी बढ़ जाएगा। साथ ही जमीन के बहुमूल्य पोषक तत्व नष्ट हो जाएंगे।" शोसल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने कहा कि दिखावे के लिए क्यू किया गया किसानो को बर्बाद, हमारे करोड़ो रुपये पानी की तरह क्यू बहाया गया, हमे हमारे पैसो का हिसाब चाहिए। वही पीएम डिजिटल इंडिया का नारा देते है लेकिन वर्चुअली सभा क्यू नही करते जिससे लाखो करोड़ो रूपये भी बचता और उक्त पैसो को विकास के अन्य योजनाओं पर खर्च किया जा सकता था यानी उसी पैसे से अस्पताल, स्कूल खोलने से आमजन सहित किसानों का भी भला होता।
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