United News of India : आरपीडब्ल्यूआई ने यूएनआई कर्मचारियों के आन्दोलन को दिया समर्थन
दिल्ली, भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (आरपीडब्ल्यूआई) द्वारा कल यूनाईटेड न्यूज़ ऑफ इण्डिया (यूएनआई) के वेतन कटौती व अन्य जायज माँगों को लेकर संघर्षरत कर्मचारियों के यूएनआई दिल्ली कार्यालय के बाहर चल रहे प्रदर्शन का समर्थन किया गया।
यूएनआई के पत्रकारों और गैर-पत्रकार कर्मचारियों के 56 महीने का वेतन बकाया है, जिसे लेकर उन्होंने ‘यूनीफ्रण्ट’ के बैनर तले दो अक्तूबर से यूएनआई मुख्यालय पर ‘‘क्रमिक भूख़ हड़ताल‘‘ और ‘‘धरना’’ शुरू किया था। यूएनआई भारत के प्रमुख बहुभाषी समाचार एजेंसियों में से एक है, जिसकी 60 साल पुरानी समृद्ध विरासत है, लेकिन पिछले लगभग दो दशकों में कुप्रबन्धन, सरकारी व राजनीतिक वर्ग की उपेक्षा के कारण वित्तीय संकट से जूझ रही है।
यूनीफ्रण्ट के संयोजक शैलेन्द्र झा ने बताया कि प्रबन्धन ने आन्दोलन के चौथे दिन यूनीफ्रण्ट के पाँच साथियों को वार्ता के लिए बुलाया, जिसके बाद तीन दौर की बातचीत चली और दोनों पक्षों की ओर से एक संयुक्त बयान जारी कर आन्दोलन को समाप्त करने की घोषणा की गयी।
श्री शैलेन्द्र झा ने बताया कि कई बिन्दुओं पर प्रबन्धन और यूनीफ्रण्ट में सहमति बनी और कुछ अन्य मुद्दों पर यूएनआई प्रबन्धन ने आश्वासन दिया। यूनीफ्रण्ट के दूसरे संयोजक महेश राजपूत ने बताया कि प्रबन्धन ने वेतन बैकलॉग को 'पिछले प्रबन्धन से विरासत में मिली समस्या' करार देते हुए माना कि यह बेहद गम्भीर स्थिति है और कहा कि उनका पूरा प्रयास है इसे धीरे-धीरे दूर किया जाये। प्रबन्धन ने यह भी कहा कि इस दिशा में प्रयास शुरू किये जा चुके हैं। प्रबन्धन ने पूर्व कर्मचारियों, जिनमें जुलाई 2010 में वीआरएस लेने वाले कर्मचारी शामिल हैं, के बकाया को लेकर भी सहानुभूति जतायी और कहा कि जिन कर्मचारियों की मृत्य हो चुकी है, उनके बकाया भुगतान के मामलों को प्राथमिकता देकर निबटाया जायेगा।
आरपीडब्ल्यूआई की तरफ से कहा गया है कि, प्रबन्धन द्वारा यूनीफ्रण्ट की इन माँगों को मान लेना इस आन्दोलन की आंशिक जीत है। हमें इस आंशिक सफ़लता को लेकर इस आन्दोलन के अनुभवों का समाहार करना होगा। साथ ही अपनी माँगों के लिए इस संघर्ष को आगे जारी रखना होगा।
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