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PM Rally Varanasi : पीएम की जनसभा के बाद कृषि भूमि को उपजाऊ बनाना किसान व प्रशासन के लिए चुनौती, खेतों की मिट्टी निकालने से किसानों में नाराज़गी

PM Rally Varanasi : पीएम की जनसभा के बाद कृषि भूमि को उपजाऊ बनाना किसान व प्रशासन के लिए चुनौती, खेतों की मिट्टी निकालने से किसानों में नाराज़गी

 वाराणसी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 25 अक्टूबर को मेहदीगंज में प्रस्तावित जनसभा के लिए कच्ची धान की फसल काटने और समतलीकरण हेतु उपजाऊ मिट्टी निकालने से अब किसानों के सामने रबी फसल की तैयारी के लिए संकट खड़ा हो रहा है। वहीं जिन खेतों में मिट्टी ठोस होकर जमा हो जाएगी उसे निकालने का काम किसान करेंगे या संबंधित विभाग ये बाद की बात हैं। जनसभा स्थल पर आए आलाधिकारियों ने किसानों के खेतों में मूल रूप में वापस लाने का आश्वासन दिया है, लेकिन प्रक्रिया कब और कैसे शुरू होगी ये नहीं बताया गया है। 
प्रशासन के सामने चुनौती फसलों का मुआवजा ही नहीं बल्कि जमीन के खराब होने को लेकर आ रही है। प्रशासन नियमों के तहत फसलों के हुए नुकसान का मुआवजा तो किसान को दे दिया है और क्या प्रधानमंत्री बीमा योजना से भी किसान को राहत मिल सकता है, लेकिन फसलें ही बर्बाद नहीं हो रही, बल्कि जमीन भी बर्बाद हो रहा है। इस खेती योग्य ख़राब जमीन का मुआवजा न तो विभाग में हैं और न ही फसल बीमा योजना में शामिल है। प्रशासन पशोपेश में है कि, अचानक उपजाऊ से गैर उपजाऊ बन जा रहे खेतों को दोबारा उपजाऊ बनाने के लिए कौन सी योजना और निधि का उपयोग करें।
ऐसे खेतों में उपजाऊ मिट्टी कैसे चढ़ाए इस पर चिंतन-मनन प्रशासन को ज़रूर करना होगा। हालांकि, विभागीय मातहत अधिकारी उपजाऊ मिट्टी को समतलीकरण के लिए निकाले जाने पर चिंता जाहिर करते हुए वापस खेतों को उपजाऊ बनाने की घोषणा कर गए हैं, लेकिन प्रशासन को यह समझ नहीं आ रहा है कि जिन खेतों से मिट्टी निकाली गई है और वहाँ जनसभा के बाद ठोस मिट्टी के रूप में जमीन दिखाई देगा। ऐसी जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए मिट्टी कहां से लाकर डाली जाए।

पुनः उपजाऊ भूमि पाने के लिए किसानों के सामने चुनौती मुँह बाएँ खड़ा है। ठोस मिट्टी पर फसल उपजाना रेगिस्तान में खेती करने जैसा है। ऐसे खेतों को दोबारा उपजाऊ बनाना शासन प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है।

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि घट जाएगी उपजाऊ क्षमता 

>मिट्टी के मित्र कीट नष्ट हो जा रहे हैं, उत्पादकता घट जाएगा। खेती में लागत बढ़ जाएगा। 

> मिट्टी की ऊपरी परत कड़ी होने से जलधारण क्षमता में कमी। फसल जल्द सूखेगा, जल स्त्रोतों पर दबाव बढ़ जाएगा। 

> पोषक जमीन के बहुमूल्य पोषक तत्व नष्ट हो जाएँगे।

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