Gandhi Jayanti : सीटू कार्यकर्ताओं ने मनाई गांधी जयंती, शांतिदूत और अहिंसा के पुजारी थे गांधी जी
नोएडा, सीटू कार्यकर्ताओं ने 02 अक्टूबर गांधी जयंती (Mahatma Gandhi Birth Anniversary) सेक्टर- 8, नोएडा कार्यालय पर धूमधाम के साथ मनाई और उन्हें याद करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण/ पुष्प अर्पित कर देश की आजादी में उनके योगदान को सीटू नेता गंगेश्वर दत्त शर्मा, पूनम देवी, भरत डेंजर, लता सिंह जनवादी महिला समिति के नेता चंदा बेगम, आशा यादव आदि वक्ताओं ने रेखांकित किया। इस अवसर पर बोलते हुए सीटू जिलाध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा ने कहा कि मोहनदास करमचंद गांधी भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और नेताओं में एक प्रमुख स्थान रखते हैं, गांधी जी ने दुनिया भर में अपनी मौजूदगी दर्ज करायी है, उनके अधिकांश विचार कमाल के थे और उनकी उपयोगिता आज भी कायम है।
गांधीजी का दृढ मत था कि मेरे साथ रहने वालों को फर्श पर सोना होगा, साधारण कपडे पहनने होंगे, सुबह उठना होगा, साधारण खाने पर जिंदा रहना होगा और अपना टोयलेट खुद साफ करना होगा, मैं बापू के इन मंत्रों से आज भी प्रभावित हूँ, उनका मानना था कि हमारा प्रत्येक क्षण मानव सेवा में खर्च होना चाहिए।
गांधी जी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक और कारगर बने हुए हैं जैसे अहिंसा, सविनय अवग्या, सत्याग्रह और असहयोग, उनके द्वारा विकसित हथियार कमाल के हैं जैसे हडताल, बहिष्कार भूख हड़ताल, सविनय बगावत, असहयोग, करो या मरो।
गांधी जी को "महात्मा" की उपाधि ठा. रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी और उनको भिकारी के वेष में महान आत्मा बताया था। गांधी की देन भी काफी हैं, वे खुले खेतों में शौच की जगह टोयलेट के हामी थे ,स्वास्थ्य, सफाई ,शिक्षा ,हिंदु मुस्लिम एकता पर अमल के हामी थे गांधी जी। चर्चिल ने गांधी जी को आधा नंगा फकीर कहा था और आहवान किया था कि गांधी और उसके वाद को कुचल दो।
बापू अपने जीवन में 2338 दिन जेलों में रहे, 249 दिन दक्षिणी अफ्रीका में और 2089 दिन भारत की जेलों में बिताये। उनका कहना था कि अपने प्यार का मल्हम भारत के घावों पर लगाओ। आंदोलन के दौरान बापू ने 6 हफ्तों तक मौन व्रत धारण किया।
माउंटबैटन ने गांधी जी के बारे में कहा था कि हमने उसे जेल भेजा, हमने उसका अपमान किया, हमने उससे नफरत की, हमने उसे हिकारत की नजरों से देखा और हमने उसे अनदेखा किया, मगर गांधी तो गांधी थे, वे अपने आदर्शों से विचलित नही हुए।
गांधी जी का मानना था कि आवश्यक चीजों और जरूरतों का न्यायपूर्ण वितरण होना चाहिए,सामाजिक और आर्थिक असमानता नफ़रत और हिंसा पैदा करती है। उनका अपने राजनैतिक शिष्यों को कहना था कि सत्ता से सावधान रहो, सत्ता भ्रष्ट कर देती है, याद रखना कि तुम गांव के गरीबों की सेवा करने के लिए सत्ता में हो।
गांधी ने अपने जीवन में 16 बार भूखहडतालें कीं गांधी हिंदु मुस्लिम एकता के सच्चे समर्थक थे, गांधी जी के देखकर भाईचारे और मुहब्बत की लहरें चलती थीं, उनका मानना था कि हिंसा और नफरत किसी समस्या का समाधान नही कर सकते हैं। हम सभी हिंदू मुस्लिम सिख इसाई भारत माता के बेटे बेटियां हैं।
बापू महिला समानता के सबसे बड़े पैरोकार थे उनका कहना था कि जब तक मानवता का पचास प्रतिशत हिस्सा यानि औरतें आजाद नही होतीं, तब तक भारत आजाद नही हो सकता। उनका मानना था कि बिना श्रम की रोटी चोरी की रोटी है। सत्य, अहिंसा ,सदाचार ,प्रेम और भाईचारा उनके सिध्दांत थे, वे कहते थे कि हम अलग अलग रह सकते हैं मगर हम एक ही वृक्ष की पत्तियां हैं।
गांधी जी हमारे देश के बहुत बडे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, 30 जनवरी 1948 को सायं 5 बजकर 17 मिनट पर एक हत्यारे साम्प्रदायिक नाथूराम गोडसे ने प्रार्थना के लिए जाते निहत्थे शांतिदूत और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी यानि बापू यानि राष्ट्रपिता की बेदर्दी से हत्या कर डाली।
गांधी जी एक ऐसे भारत के ख्वाब देखते थे कि जहां कोई गरीब न हो, कोई अमीर न हो, सब तरह की हिंसा का खात्मा हो, सब जगह आजादी की बयार बहे,सबको रोटी , कपडा , मकान , शिक्षा , स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जावे, प्राकृतिक संसाधनों पर सबका अधिकार हो और इनका प्रयोग सबके विकास और समृद्धि के लिए किया जाये।
भारतीयता और हिंदुस्तानियत बापू के अंदर कूट कूट कर भरी हुई थी, वे कहते हैं कि "आजाद भारत में हिंदुओं का नही हिंदुस्तानियों का राज्य होग,हिंदू मुस्लिम एकता से ही सच्चा स्वराज्य आयेगा। हम हिंदू मुस्लिम नही भारतीय यानि हिंदुस्तानी हैं। मैं अपने खून की कीमत पर भी हिंदू मुस्लिम एकता की रक्षा करूंगा, मैं हिंदू नही हिंदुस्तानी हूं। "
सच में यह गांधी के सपनों का हिंदुस्तान नही है, यहां जातिवाद साम्प्रदायिकता छल कपट और झूठ, भाईभतीजावाद, बेईमानी, भ्रष्टाचार,खुदगर्जी ,शोषण, अन्याय, भेदभाव और गैरबराबरी, व धर्मांधताओं की विकृतियां उग आयी हैं और हम इनके गुलाम हो गये हैं, और आज फिर जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली मानसिकता सिर उठा रही है, आदमी के बीच दूरियां बढी हैं, यह देश बनाते बनाते और बिगडता जा रहा है।
गांधी राजनीति में धर्म का इस्तेमाल करने के विरोधी थे, वे एक धार्मिक विचारों के व्यक्ति थे, मगर वे कहीं से भी साम्प्रदायिक नही थे। वे साम्प्रदायिकता के सबसे बड़े दुश्मन थे।
हालांकि गांधी के दर्शन से पूरी पूरी सहमत नही हुआ जा सकता, वे सनातन धर्म और वर्णों के बने रहने में विश्वास करते थे, वे दुनिया के आधुनिकतम विचारों के प्रतिनिधि नही थे, वे समाजवादी व्यवस्था और विचारधारा में विश्वास नही रखते थे, वे पूंजिपतियों को धन दौलत का ट्रस्टी मानते थे।
फिर भी गांधी एक महान आत्मा थे, उनकी कथनी और करनी में बहुत फ़र्क नही था, जो कहते वही करते थे। उन्होंने अपने व्यक्तित्व से देश और दुनिया के करोडों लोगों को प्रभावित किया था, वे एक अमर व्यक्तित्व के मालिक आज भी बने हुए हैं।
सीटू कार्यकर्ताओं ने जय जवान जय किसान के उद्घोषक भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन किया।
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