Kisan Andolan : किसान संसद का पहला दिन
किसान आंदोलन अंत मे केन्द्र सरकार को इस बात पर मजबूर करने मे सफल रहा, कि वह किसान नेताओं को जंतर-मंतर पहुंच कर, 3 किसान विरोधी विदेशी कंपनी व कारपोरेट पक्षधर कानूनों तथा एमएसपी के कानूनी अधिकार की मांग पर, अपनी एक "किसान संसद" का आयोजन कर अपने विचार दिल्ली में व्यक्त कर सकें। यह संसद, संयुक्त किसान मोर्चा के निर्णय अनुसार, 9 अगस्त तक, भारतीय संसद के चलने के हर दिन, 200 प्रतिनिधियों को भेजकर संचालित की जाएगी।
सरकार पर आंदोलन का दबाव बढ़ने के साथ-साथ, उसने ना केवल चयनित सदस्यों को दिल्ली आने की अनुमति दी बल्कि दिल्ली भर में 30000 पुलिस बल तैनात कर सुनिश्चित किया कि दोनों तरफ से आने और जाने का रास्ता साफ मिले।
रास्ते भर, सैकड़ों की संख्या में मीडियाकर्मी विरोध कर रहे किसानों के काफिले के चित्र खींचने के लिए उपस्थित रहे।
बाद में जंतर-मंतर पहुंचने पर, किसान संसद के सांसदों को भारी पुलिस बैरिकेड से सीमित क्षेत्र में अपनी संसद को चलाने दिया गया, पर पूरी मीडिया को इससे बाहर रखा गया। किसानों द्वारा मजबूत विरोध किए जाने के बाद ही उन्हें अंदर आने दिया गया।
जंतर मंतर पर 45 किसान नेताओं ने अपने विचार रखे। किसान संसद ने इसमें 2 प्रस्ताव पारित किए, एक उन शहीद किसानों की याद में, जिन्होंने अपनी जान इस आंदोलन में कुर्बान की है। दूसरा मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ।
इसके साथ इस आंदोलन ने एक नया कदम बढ़ा लिया है। जिन किसानों को दिल्ली में घुसने से रोका गया था, वे अब दिल्ली के अंदर पहुंच चुके हैं। इसके साथ यह आंदोलन अब अपनी ताकत आगे बढ़ा रहा है और सरकार को मांगे स्वीकार करने मैं निश्चित तौर पर सफल होगा।
पहले 2 दिन चर्चा मंडी कानून पर है। इसके बाद के दिनों में ठेका खेती कानून, आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, नया प्रस्तावित बिजली बिल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पर्यावरण कानून और स्वामीनाथन आयोग के अनुसार सभी फसलों का एमएसपी देने का कानून बनाए जाने पर चर्चा होगी।
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