Gurugram : सैलरी न देने और सैलरी कटौती में घपलेबाजी को लेकर मानेसर की श्रीनिसंस कम्पनी के मज़दूर परेशान
श्रीनिसन्स वायरिंग लिमिटेड (मानेसर, सेक्टर 8, प्लाट नम्बर 427) के मज़दूरों ने बताया कि एक तो पिछले पाँच महीने से उनकी तनख्वाह (सैलरी) का भुगतान नहीं किया गया है। दूसरा जो तनख्वाह से पैसा कटने के बावजूद न तो पी.एफ., ई.एस.आई. में पैसा जमा नहीं किया गया है और न ही मज़दूरों द्वारा कम्पनी से लिए गये ऋण (लोन) की किश्त चुकाई जा रही है। वे इस तानाशाही व घपलेबाजी की शिकायत श्रम विभाग के डी. एल. सी. को 9 जुलाई को लिखित रूप में भी कर चुके हैं।
स्टाफ़ के क़रीब 20 मज़दूरों की तनख्वाह का जनवरी (2021) से ठेका व अप्रेण्टिस के मज़दूरों का अप्रैल (2021) से भुगतान नहीं किया गया है। लेकिन इस बीच रिपोर्ट लिखने तक एक महीने की तनख्वाह खाते (अकाऊंट) में जरूर डाल दी गई है। अभी भी अप्रेण्टिस के क़रीब 50 मज़दूरों, 15-20 ठेका मज़दूरों तथा स्टाफ़ के 20 मज़दूरों की सैलरी का भुगतान बकाया है।
तनख्वाह न मिलने के कारण बहुत से मज़दूर काम भी छोड़ चुके हैं। 200 के क़रीब ठेका मज़दूरों में महज़ 15-20 मज़दूर और स्टाफ़ के भी क़रीब 80-85 में से 50 मज़दूर बचे हैं।
कम्पनी इन समस्याओं का कारण काम की कमी बता रही है। लेकिन मज़दूर कह रहे रहें कि काम की कमी नहीं है। कम्पनी असल में आर्डर पूरा नहीं कर पा रही है। फ़िलहाल कम्पनी में काम चल रहा है और बचे हुए मज़दूर काम भी कर रहें हैं और सैलरी सम्बन्धित समस्याओं से भी जूझ रहें हैं।
श्रीनिसंस कम्पनी ऑटोमोबाईल सेक्टर के लिए कल-पुर्जे बनाने वाली एक वेंडर कम्पनी है जो मारूति, हीरो जैसी मदर कम्पनियों तथा नपीनो, प्रीकॉल मिण्डा, मदरसन, लूकास टी.वी.एस., इंटरफेस, अस्ती, पदमनी, वी.एन.ए., एस.एम.एल, पिलीप्स आदि वेंडर कम्पनियों के लिए हारनेस बनाती हैं, इसका दूसरा प्लाण्ट रूदरपुर में भी है।
ताज़ा घटनाक्रम के अनुसार 19 जुलाई (2021) को मज़दूरों का डी.एल.सी. ऑफिस में सुनवाई के लिए बुलाया गया था। लेकिन न तो डिप्टी लेबर कमीश्नर दिनेश कुमार (गुड़गाँव) आये और न ही प्रबंधन की तरफ़ से कोई आया। मज़दूरों ने अपनी हाज़री लगवा दी है और उन्हें अगली सुनवाई के लिए 23 जुलाई (शुक्रवार) को बुलाया है।
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